इंदौर. शहर के सभी निजी और सरकारी अस्पतालों में सन्नाटा पसरा रहा। केवल वही मरीज नजर आए जो पहले से भर्ती थे। कोई नया मरीज कहीं नहीं आया। अस्पतालों को सैनिटाइज किया गया। वहीं दिनभर स्वास्थ्य विभाग के कंट्रोल रूम में शहरवासी विदेश-यात्रा कर वापस आने वाले लोगों की जानकारी साझा करते नजर आए। ऐसा ही एक मामला विजय नगर स्थित एक होटल में आया। यहां इंडोनेशिया से लौटा एक व्यक्ति 14 दिन तक ठहरना चाह रहा था, लेकिन होटल प्रबंधन ने उसे मना कर दिया और स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दे दी।
पता चला विदेश से आया तो असहज हुआ स्टाफ
व्यक्ति इंदौर का ही रहने वाला है। परिवार भी यही रहता है, लेकिन विदेश से आने के कारण वह सीधे घर नहीं गया। घर में पत्नी बच्चे और परिवार के अन्य सदस्य होने से वह 14 दिन तक होटल में ही आइसोलेशन में रहना चाहता था। होटल प्रबंधन को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने होटल में रखने से इनकार कर दिया और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को फोन लगा दिया। प्रबंधन का कहना था कि यहां पर अन्य लोग भी रह रहे हैं। ऐसे में किसी भी प्रकार के संक्रमण की आशंका के चलते उन्हें यहां नहीं रखा जा सकता। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने उसे ट्रेनिंग सेंटर में बने आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट करना चाहा। इसके लिए ट्रेनिंग सेंटर में सूचना भी दी गई, लेकिन जैसे ही पता चला कि इंडोनेशिया से वापस आए एक यात्री को यहां रखा जा रहा है तो स्टाफ असहज हो गया। हालांकि बाद में ट्रेनिंग सेंटर में ही यात्री को रखा गया।
मॉक-ड्रिल : जब कोरोना वायरस संक्रमित मरीज पहुंचा अस्पताल, तब प्रशासन ने चिह्नित की खुद की खामियां
शहर में अब तक कोरोना संक्रमित मरीज नहीं मिला है, लेकिन खुद की व्यवस्थाओं को आंकने के लिए रविवार को एमजीएम मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने एक मॉक-ड्रिल करवाई।
तैयारियों को जांचने का जिम्मा मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग को सौंपा गया था। मरीज को एम्बुलेंस लेकर आई। नर्स और एक डॉक्टर उसे फोर्ड में अंदर तक ले गए। मरीज को पलंग पर लेटाया गया और ऑक्सीजन देना शुरू किया गया। नर्सिंग स्टाफ को हिदायत दी गई कि कभी कोई मरीज आता है तो वार्ड में सिर्फ एक डॉक्टर और नर्स ही जाएंगे। ड्रिल में डॉक्टर्स पर्सनल प्रोटेक्शन किट नहीं पहने थे क्योंकि वे इन्हें वेस्ट नहीं करना चाहते थे। यह मॉक-ड्रिल इसलिए करवाई गई ताकि कभी कोई आकस्मिक स्थिति बनती है तो इससे किस तरह निपटा जाए।
ये चार कमियां मिलीं
- वार्ड बॉय : अस्पताल के वार्ड बॉय नहीं थे। इक्का-दुक्का कर्मचारियों के भरोसे व्यवस्था नहीं चल सकती। एमवायएच अधीक्षक ने तुरंत अतिरिक्त वार्ड बॉय की व्यवस्था की।
- ओपीडी की कतार : कतार में पास-पास खड़े थे मरीज। यह गंभीर विषय था, क्योंकि यदि कोई संक्रमित हो तब बाकी मरीजों को भी खतरा हो सकता है।
- एक मीटर की दूरी : ओपीडी की कतार और डॉक्टर्स के चैम्बर में भी एक मीटर की दूरी नहीं थी। जो जोखिमभरा था। इस पर यह तय किया गया कि एक मीटर की दूरी पर लाल लाइन बनाई जाए।
- एक ही कंप्यूटर: पर्ची बनाने के लिए एक ही कम्प्यूटर था। जिस पर मेडिकल कॉलेज डीन ने तुरंत तीन कंप्यूटर रखने के लिए आदेशित किया।